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नेताओं या किसी के द्वारा दिए गए झूठे वादे आदमी की जान ले लेते हैं, जानिए कैसे?



नेताओं या किसी के द्वारा दिए गए झूठे वादे आदमी की जान ले लेते हैं, जानिए कैसे?


जुलाई सोमवार 20-7-2020


किरण नाई ,वरिष्ठ पत्रकार -अल्पायु एक्सप्रेस


एक बादशाह सर्दियों की शाम जब अपने महल में दाखिल हो रहा था तो एक बूढ़े दरबान को देखा जो महल के सदर दरवाज़े पर पुरानी और बारीक वर्दी में पहरा दे रहा था।

बादशाह ने उसके करीब अपनी सवारी को रुकवाया और उस बूढ़े दरबान से पूछने लगा ;

"सर्दी नही लग रही ?"

दरबान ने जवाब दिया "बोहत लग रही है हुज़ूर ! मगर क्या करूँ, गर्म वर्दी है नही मेरे पास, इसलिए बर्दाश्त करना पड़ता है।"

"मैं अभी महल के अंदर जाकर अपना ही कोई गर्म जोड़ा भेजता हूँ तुम्हे।"


दरबान ने खुश होकर बादशाह को फर्शी सलाम किया और आजिज़ी का इज़हार किया।

लेकिन बादशाह जैसे ही महल में दाखिल हुआ, दरबान के साथ किया हुआ वादा भूल गया।

सुबह दरवाज़े पर उस बूढ़े दरबान की अकड़ी हुई लाश मिली और करीब ही मिट्टी पर उसकी उंगलियों से लिखी गई ये तहरीर भी ;

"बादशाह सलामत ! मैं कई सालों से सर्दियों में इसी नाज़ुक वर्दी में दरबानी कर रहा था, मगर कल रात आप के गर्म लिबास के वादे ने मेरी जान निकाल दी।" झूठे वादे आदमी की जान ले लेते हैं ।

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