बारिश ने डुबोया खेत!..संगीता बलवंत बनीं किसानों की उम्मीद की किरण
- alpayuexpress
- 23 hours ago
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बारिश ने डुबोया खेत!..संगीता बलवंत बनीं किसानों की उम्मीद की किरण
⭕मुख्यमंत्री को लिखा पत्र!...कहा ‘मोंथा तूफ़ान से बर्बाद फसलों का तुरंत मुआवज़ा दें

सुभाष कुमार ब्यूरो चीफ
नवम्बर शनिवार 1-11-2025
गाज़ीपुर:- खबर गाज़ीपुर ज़िले से है जहां चारों ओर मोंथा तूफ़ान और भारी वर्षा ने तबाही मचा रखी है, वहीं किसानों की बर्बाद फसलों को लेकर अब सियासी हलचल तेज़ हो गई है। कई नेताओं के बयान तो सामने आए, लेकिन किसानों की आवाज़ बनकर सबसे पहले मैदान में उतरीं राज्यसभा सांसद डॉ. संगीता बलवंत।
डॉ. बलवंत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर गाज़ीपुर सहित पूर्वांचल के ज़िलों में बेमौसम बारिश और तूफ़ान से बर्बाद हुई फसलों के मुआवज़े की मांग की है। उन्होंने पत्र में उल्लेख किया कि बीते तीन दिनों से जारी मोंथा तूफ़ान और लगातार बारिश ने जिले के किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। धान, बाजरा, सरसों, चना, सब्ज़ी जैसी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। खेतों में पानी भर जाने से सैकड़ों बीघे की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है।

सांसद ने अपने पत्र में स्पष्ट लिखा:- “किसानों की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमज़ोर है। इस प्राकृतिक आपदा ने उनकी कमर तोड़ दी है। सरकार तत्काल सर्वे कराकर सभी प्रभावित किसानों को उचित मुआवज़ा उपलब्ध कराए, ताकि वे दोबारा खेती के लायक हो सकें।”
डॉ. संगीता बलवंत, जो पहले भी जनहित के मुद्दों पर मुखर रही हैं, ने इस बार भी किसानों के पक्ष में खुलकर आवाज़ उठाई है। स्थानीय जनता का कहना है कि सांसद का यह कदम “किसानों के जख्म पर मरहम” साबित होगा।
ग्रामीण इलाकों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, कई गांवों में खेत जलमग्न हैं। किसान अब सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद लगाए बैठे हैं। डॉ. बलवंत का यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुका है, और सूत्रों के मुताबिक़ सरकार ने इस मामले पर संज्ञान भी ले लिया है।
गाजीपुर की जनता के बीच सांसद संगीता बलवंत की छवि एक जनसेवी और संघर्षशील नेत्री के रूप में जानी जाती है। वे समय-समय पर जिले की जनता की समस्याओं को लेकर न सिर्फ़ धरातल पर सक्रिय रहती हैं, बल्कि उच्च स्तर पर सरकार तक उनकी आवाज़ पहुंचाने का भी काम करती हैं। अब देखना यह है कि उनके इस पत्र के बाद सरकार किसानों के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। गाजीपुर के किसान राहत की उम्मीद में आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं।









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