कचरा बीनने वाले बच्चों को कांस्टेबल पहुँचाया स्कूल… जेल प्रहरी अनिल की मिसाल ने बदल दी 10 ज़िंदगियां
- alpayuexpress
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कचरा बीनने वाले बच्चों को कांस्टेबल पहुँचाया स्कूल… जेल प्रहरी अनिल की मिसाल ने बदल दी 10 ज़िंदगियां
सुभाष कुमार ब्यूरो चीफ
दिसम्बर सोमवार 1-12-2025
गाजीपुर:- खबर गाज़ीपुर ज़िले से है जहां पर पुलिस जो आए दिन अपने नए-नए कारनामों के लिए जाने और पहचाने जाते है । कभी वसूली के लिए तो कभी भ्रष्टाचार तो कभी लोगों के साथ मारपीट करने के लिए जिसके चलते अब आमजन की नजर में पुलिस की एक दूसरी छवि बन चुकी है लेकिन कुछ ऐसे भी पुलिस वाले हैं जो अपनी एक अलग ही तस्वीर समाज में पेश करते हैं और ऐसे ही एक पुलिस कांस्टेबल जो जेल की ड्यूटी में तैनात है उन्होंने अपनी ड्यूटी के अलावा गरीब और असहाय परिवार के बच्चे जो विद्यालय जाने के बजाय कचरा बिनकर परिवार चलाने का काम करते हैं ऐसे छात्र दर्दनाक बच्चों और उनके परिवार के लोगों को मोटिवेशन कर विद्यालय पहुंचाने का काम किया और अब करीब एक दर्जन ऐसे बच्चे प्रतिदिन विद्यालय जाना शुरू कर दिए हैं।
गाजीपुर जनपद का देवकली ब्लाक का मऊपारा प्राथमिक विद्यालय जहां पर पहाड़पुर गांव के रहने वाले करीब एक दर्जन से ऊपर बच्चों का विद्यालय खुलने के वक्त टीचरों ने अपनी छात्र संख्या बढ़ाने की गरज से उनका अपने विद्यालय में एडमिशन तो कर लिया लेकिन एडमिशन के बाद कभी भी उन्हें अपने विद्यालय तक लाने के बारे में प्रयास नहीं किया लेकिन इसकी जानकारी कुछ दिनों पहले जेल की ड्यूटी में तैनात कांस्टेबल अनिल को इस विद्यालय के प्रिंसिपल के माध्यम से जानकारी हुई कि उनके विद्यालय के करीब सात आठ बच्चे जिनके परिवार वाले उन बच्चों को पढ़ने के बजाय उनसे कचरा बिनवाते हैं और फिर उनसे मिले हुए पैसों से शराब पीते हैं इसकी जानकारी पर कांस्टेबल अनिल उनके गांव पहुंचा और वहां पर उनके परिवार के लोगों को अपने गरीबी और गरीबी से उठने के लिए पढ़ाई कर और आज कांस्टेबल बनने तक की कहानी बता कर उनको मोटिवेट किया और जब उनके परिवार के लोग मोटिवेट हुए तो वह अपने बच्चों को गांव में जो कचरा बीन रहे थे उन्हें बुलाया और फिर उन बच्चों को भी मोटिवेट किया गया और फिर वह सभी बच्चे विद्यालय जाने को तैयार हुए तो सभी बच्चों को पेंसिल कॉपी चाकलेट आदि देकर उन्हें विद्यालय तक पहुंचाया और फिर विद्यालय के सभी बच्चों से दोस्ती कराई और फिर उन्हें क्लास में पढ़ने के लिए बैठाया और इस तरह से बच्चों के आने का क्रम अब लगातार विद्यालय में शुरू हो गया है और करीब एक सप्ताह से लगातार बच्चे अब कूड़ा बीनने जाने के बजाय अपना स्कूल का बैग उठाकर विद्यालय आते और जाते हैं कांस्टेबल अनिल को इस बात की खुशी है कि उनके एक छोटे से प्रयास ने करीब 10- 12 बच्चों के जीवन में एक छोटी सी रोशनी लाने का काम किया है।







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