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एक लड़की की वजह से 42 साल बंद रहा बंगाल का ये रेलवे स्टेशन, जानिए हैरान कर देने वाला राज




अगस्त सोमवार 17-8-2020


किरण नाई ,वरिष्ठ पत्रकार -अल्पायु एक्सप्रेस


नई दिल्ली: आपने ये तो सुना या देखा होगा कि किसी तकनीकी खराबी के कारण किसी रेलेव स्टेशन को बंद करना पडा हो। या फिर कभी दंगे-प्रदर्शन के दौरान भी ऐसी स्थिति पैदा होती है। लेकिन क्या आपने कभी ये सुना या देखा है कि किसी एक लड़की की वजह से ही पूरा रेलवे स्टेशन ( Railway Station ) बंद हो जाए? सुनने में ही बड़ा अजीब लगता है, लेकिन ऐसा सच में हुआ है। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं।


दरअसल, जिस रेलवे स्टेशन की हम बात कर रहे हैं वो पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है और इसका नाम है बेगुनकोडोर रेलव स्टेशन ( Begunkodar Railway Station )। साल 1960 में ये स्टेशन खुला और इसे खुलवाने में संथाल की रानी श्रीमति लाचन कुमारी का अहम योगदान रहा


स्टेशन खुलने के कुछ सालों तक तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में यहां कुछ अजीबो-गरीब घटनाएं घटने लगी। साल 1967 की बात है जब एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर एक महिला का भूत देखने का दावा किया था। इसके बाद ये अफवाह तेजी से उड़ी की इस महिला की मौत इसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हुई थी।


रेलवे की तरफ से इस बात को लोगों को बताया गया, लेकिन किसी ने इस पर विश्वास नहीं किया। वहीं उस वक्त सब चौंक गए जब बेगुनकोडोर के स्टेशन मास्टर और उनका परिवार रेलवे क्वार्टर में मृत अवस्था में मिला। यहां रहने वाले लोगों का ये दावा था कि इन मौतों में उसी लड़की के भूत का हाथ था। उनका कहना था कि महिला का भूत सूर्य ढलने के बाद जब भी कोई ट्रेन यहां से गुजरती थी तो उसके साथ-साथ दौड़ने लगता था और कभी आगे निकल जाता था।


साथ ही कई लोगों का कहना था कि भूत को पटरियों पर नाचते हुए भी देखा गया था। इसके बाद ये रेलवे के रिकॉर्ड में ये दर्ज हो गया और यहां स्टेशन पर लोगों और कर्मचारियों का आना बंद हो गया। यहां ट्रेनों को रोकना बंद कर दिया। सब डरने लगे।


कहते हैं कि इस स्टेशन पर भूत की बात पुरुलिया जिले से लेकर कोलकाता और यहां तक कि रेलवे मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी। यह भी कहा जाता है कि उस वक्त जब भी कोई ट्रेन इस स्टेशन से गुजरती थी तो लोको पायलट स्टेशन आने से पहले ही ट्रेन की गति बढ़ा देते थे, ताकि जल्द से जल्द वो इस स्टेशन को पार कर सकें।

हालांकि, 42 साल बाद साल 2009 में गांव वालों के कहने पर तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर से स्टेशन को खुलवाया। तब से भूत होने का दावा नहीं किया जाता, लेकिन अब भी लोग यहां सूरज ढलने के बाद नहीं रुकते।

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