भाई की फर्म को करोड़ों की सरकारी धनराशि दिलाने वाले एकाउंटेंट पर अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
- alpayuexpress
- 6 hours ago
- 3 min read
डीएम साहब!...बाराचंवर विकास खंड में हुआ बड़ा घोटाला
भाई की फर्म को करोड़ों की सरकारी धनराशि दिलाने वाले एकाउंटेंट पर अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

सुभाष कुमार ब्यूरो चीफ
मई शनिवार 24-5-2025
गाज़ीपुर:- खबर गाज़ीपुर ज़िले से है जहां पर विकास खंड बाराचंवर में तैनात एकाउंटेंट जितेंद्र श्रीवास्तव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। आरोपों के अनुसार श्रीवास्तव ने शासन के निर्देशों को ताक पर रखकर अपने सगे भाई की फर्म 'राज ट्रेडर्स परसा' के माध्यम से करोड़ों रुपये की ग्राम सभा निधि और मनरेगा योजना के अंतर्गत भुगतान करवाया। शिकायतकर्ता द्वारा इस घोटाले की जानकारी जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री को दिए जाने के बावजूद अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे प्रशासनिक उदासीनता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

भाई की फर्म को दिलाया करोड़ों का फायदा:- जांच में सामने आया है कि जितेंद्र श्रीवास्तव ने नियमों की अनदेखी करते हुए बाराचंवर विकास खंड की कई ग्राम सभाओं में किए गए कार्यों का भुगतान अपने भाई की फर्म को करवा दिया। सरकारी नियमों के मुताबिक, कोई भी कर्मचारी या ग्राम प्रधान अपने सगे संबंधियों की फर्म में किसी भी प्रकार का भुगतान नहीं कर सकते, लेकिन यहां इन निर्देशों की खुलेआम अवहेलना की गई।

राज ट्रेडर्स परसा: वर्षों से चल रहा फर्जी भुगतान का खेल:-शिकायत में यह भी बताया गया है कि यह घोटाला एक-दो महीने की बात नहीं, बल्कि बीते पाँच वर्षों से चल रहा है। राज ट्रेडर्स के नाम पर ग्राम विकास कार्यों के भुगतान में घपला किया गया और करोड़ों रुपये सरकारी खाते से गलत तरीके से स्थानांतरित कर दिए गए। यह सब अधिकारियों की मिलीभगत और अनदेखी से होता रहा।
ब्लैकलिस्ट हुआ फर्म, लेकिन नहीं हुई एकाउंटेंट पर कार्यवाही:-शिकायत और प्रारंभिक जांच के बाद खंड विकास अधिकारी ने राज ट्रेडर्स को तो ब्लैकलिस्ट कर दिया, साथ ही जांच में यह भी पाया कि एकाउंटेंट जितेंद्र श्रीवास्तव ने जानबूझकर अपने भाई की फर्म को लाभ पहुंचाया। इसके बावजूद, अभी तक उनके खिलाफ कोई विधिक कार्यवाही नहीं हुई है। इस लापरवाही से स्थानीय लोगों में रोष है और शासन की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
शिकायतकर्ता ने दो बार लिखा मुख्यमंत्री को पत्र,सौंपे साक्ष्य:-घोटाले के पर्दाफाश के बाद शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री को दो बार पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने करीमुद्दीनपुर ग्राम सभा में किए गए फर्जी भुगतान के दस्तावेज़ और साक्ष्य भी प्रशासन को सौंपे हैं। लेकिन अब तक सिर्फ जांच और फर्म की ब्लैकलिस्टिंग तक ही प्रशासनिक कार्रवाई सीमित रही है।
संलिप्त हो सकते हैं कई ग्राम प्रधान और अधिकारी:-शिकायत में यह भी आरोप है कि जितेंद्र श्रीवास्तव अकेले इस भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हैं। दर्जनों ग्राम प्रधान और कुछ खंड विकास अधिकारी भी इस घोटाले में संलिप्त हो सकते हैं। यदि निष्पक्ष जांच हुई, तो कई ग्राम विकास अधिकारियों और उच्च पदों पर बैठे अफसरों की भी संलिप्तता सामने आ सकती है।प्रशासनिक चुप्पी से जनता में आक्रोश:-इस घोटाले की खबर सामने आने के बावजूद संबंधित एकाउंटेंट पर कोई कड़ी कार्रवाई न होना, प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाता है। जनता का भरोसा प्रशासनिक व्यवस्था पर डगमगाने लगा है और लोगों में यह धारणा बन रही है कि भ्रष्टाचारियों को राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।
अब सबकी निगाहें शासन की अगली कार्रवाई पर:-मामला शासन और प्रशासन के उच्चाधिकारियों तक पहुंच चुका है। शिकायतकर्ता की ओर से स्पष्ट प्रमाण दिए जा चुके हैं। अब देखना यह होगा कि क्या शासन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ठोस कदम उठाएगा या मामला फाइलों में ही दबा दिया जाएगा। यह घोटाला न सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी का मामला है, बल्कि यह सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। जनता की निगाहें अब शासन की ओर हैं, जो तय करेगा कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी नीति वास्तव में "जीरो टॉलरेंस" की है या सिर्फ कागज़ों तक सीमित।
Komentáře