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IPS ऑफिसर की रियल लाइफ स्टोरी पर बन रही फिल्म!...गर्लफ्रेंड की शर्त पर बदली जिंदगी

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मुंबई/महाराष्ट्र


IPS ऑफिसर की रियल लाइफ स्टोरी पर बन रही फिल्म!...गर्लफ्रेंड की शर्त पर बदली जिंदगी


किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार


मुंबई:- आपने वो गाना तो सुना ही होगा, 'ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इंतकाम देखेगी...'. कहानी यहां भी कुछ ऐसी ही है, लेकिन थोड़ा ट्विस्ट है. वहां प्यार में धोखा खाने के बाद हीरो आईएएस बना था, यहां प्यार में पड़कर आईपीएस की तैयारी की है और नाम बनाकर दिखाया है. इतना ही नहीं, अब इस पर फिल्म भी बन रही है. ये फिल्म बना रहे हैं, जाने माने डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा.

परिंदा, 1942: अ लव स्टोरी, मिशन कश्मीर जैसी क्लासिक और कल्ट फिल्में बना चुके विधु आइपीएस ऑफिसर मनोज कुमार शर्मा की रियल लाइफ स्टोरी से इंस्पायर्ड एक फिल्म बनाने जा रहे हैं. इस फिल्म का नाम है 12th फेल. फिल्म के लिए हसीन दिलरुबा फेम विक्रांत मैसी को साइन किया गया है. विधु ने बताया कि उन्होंने इस कहानी को अनुराग पाठक की नॉवेल में पढ़ा था. विधू के मुताबिक ये कोई बायोग्राफी नहीं होगी, लेकिन ऐसी फिल्म होगी जो एक इंसान के कुछ कर गुजरने की ताकत को दिखाएगी. फिल्म की ज्यादातर शूटिंग मुखर्जी नगर में ही की गई है. जहां से मनोज शर्मा ने भी अपने दिनों में UPSC की पढ़ाई की थी.

लेकिन क्या आप जानते हैं, कौन हैं मनोज कुमार शर्मा जिनकी जिंदगी से प्रेरित इस फिल्म की कहानी को बताया जा रहा है. मनोज शर्मा की कहानी सही मायने में लोगों के लिए एक मिसाल है. बताया जाता है कि मनोज शर्मा नौवीं, दसवीं और 11वीं नकल कर के पास हुए थे, लेकिन 12वीं में फेल हो गए थे, क्योंकि वहां उन्हें नकल करने का मौका नहीं मिल पाया. इलाके के एक एसडीएम की नजर स्कूल पर थी. उन्होंने कड़ी सुरक्षा करवाई और नकल करने नहीं दी. मनोज शर्मा तब समझ पाए कि एसडीएम एक बहुत पॉवरफुल आदमी होता है, जिसकी सब मानते हैं. मनोज ने डिसाइड किया कि उतना ही दमदार बनना है.

एक इंटरव्यू में मनोज ने बताया कि 12वीं कक्षा में फेल हो जाने के बाद गुजारा करने के लिए उन्हें टैम्पो चलाना पड़ता था. एक दिन उनका टैम्पो पकड़ा गया तो वो एसडीएम के पास गए, ताकी उसे छुड़वाने की बात उनसे कह सकें. लेकिन मनोज से ये हो ना पाया. बजाए इसके उन्होंने एसडीएम से बिना अपनी पढ़ाई के बारे बताए ये पूछा कि आपने तैयारी कैसे की. मध्य प्रदेश के मुरैना के रहने वाले मनोज इसके बाद ग्वालियर आ गए. लेकिन रहने को घर नहीं था, ना खाने को कुछ. तो मनोज भिखारियों के पास सोते थे. फिर उन्हें जैसे-तैसे एक लाइब्रेरियन के पास चपरासी का काम मिल गया.

यहां से मनोज की पढ़ाई में दिलचस्पी बढ़ी. वो यहां लोगों को पानी पिलाने के साथ-साथ होने वाले कार्यक्रम को सुनते. लाइब्रेरी में रखी किताबें पढ़ते. उन्होंने यहीं अब्राहम लिंकन, गोर्की और मुक्तिबोध जैसी कविताओं के बारे में पढ़ा. लेकिन 12वीं फेल के ठप्पे ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. पढ़ते रहने के बावजूद मनोज को 12वीं फेल होने का मलाल रहता. मनोज की एक गर्लफ्रेंड थी, वो उसे तक अपनी दिल की बात बताने से डरते थे, कि कहीं वो छोड़कर ना चली जाए. इसलिए वापस पढ़ाई शुरू कर दी.

इसके बाद मनोज दिल्ली आ गए. लेकिन पैसों की जरूरत थी तो 400 रुपये में लोगों के कुत्ते टहलाने का काम किया. लेकिन साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू की. मनोज ने पहले अटेंप्ट में प्री पास किया, लेकिन बाकी अटेंप्ट में फेल हो गए, क्योंकि प्यार आड़े आ गया था. इसके बाद चौथी बार में प्री निकाल पाए और मेन्स देने गए. मनोज ने यहां बताया कि दो बार मैं प्यार की वजह से ही फेल हुआ तो चौथी बार भी प्यार की वजह से ही पास हुआ. क्योंकि जिस लड़की से मनोज प्यार करते थे, उन्होंने उससे कहा था कि अगर वो हां कर दे, तो मैं दुनिया पलट सकता हूं. इसके बाद मनोज को मोहब्बत के साथ-साथ पढ़ाई में भी जीत हासिल हुई और वो आइपीएस बन गए.

 
 
 

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