अगस्त मंगलवार 18-8-2020
किरण नाई ,वरिष्ठ पत्रकार -अल्पायु एक्सप्रेस
Vodafone idea Airtel Plans: Bharti Airtel और Vodafone-Idea ग्राहकों के लिए खबर है कि दोनों कंपनियां अपने प्री-पेड और पोस्ट पेड प्लान 10 फीसदी तक महंगे कर सकती हैं। इस बारे में सितंबर तक फैसला हो सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों दूरसंचार ऑपरेटर चुनिंदा डेटा और कॉलिंग प्लान की कीमतों में वृद्धि पर विचार कर रहे हैं।
नई दरें सितंबर या अक्टूबर 2020 से लागू की जा सकती हैं। टैरिफ में यह बढ़ोतरी बड़े पैमाने पर लगाए जा रहे एडजस्टेड ग्रोस रेवेन्यू या समायोजित सकल राजस्व यानी एजीआर का नतीजा है। इस मामले में दोनों पक्षों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी चल रही है। बता दें, एजीआर के तहत वोडाफोन आइडिया को 50,399 करोड़ और भारती एयरटेल को 25,976 करोड़ रुपए सरकार को अदा करना हैं।
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है। पिछली सुनवाई में दोनों कंपनियों ने यह राशि चुकाने के लिए 10 से 15 साल का समय मांगा है। हालांकि इस राहत की उम्मीद कम ही है। यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कंपनियों के खिलाफ आया तो उनकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। माना जा रहा है कि इसीलिए कंपनियों ने अपने प्लान महंगे करने की तैयारी शुरू कर दी है। बहरहाल, अभी तक इनमें से किसी टेलीकॉम कंपनी की तरफ से प्लान्स की कीमतों में इजाफे को लेकर आधिकारिक बयान नहीं आया है।
कोरोना काल ने बढ़ा दिया संकट
एजीआर के भुगतान को लेकर Bharti Airtel और Vodafone-Idea पहले ही मुश्किल में थी और कोरोना काल ने संकट बढ़ा दिया। लॉकडाउन की वजह से टेलीकॉम कंपनियों के रिचार्ज पर गिरावट आई है। इससे पहले दिसंबर 2019 में इन कंपनियों ने अपने प्लांस की कीमतों में इजाफा किया था।
एजीआर यानी एडजस्टेड ग्रोस रेवेन्यू। यह एक फीस है, जो दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से वसूली जाती है। यह लाइसेंसिंग और यूजेज फीस है। साथ ही इसमें स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (3 से 5 फीसदी के बीच) और लाइसेंसिंग फीस भी शामिल है।
कुल मिलाकर कंपनियों को अपने लाभ का 8 फीसदी से ज्यादा हिस्सा सरकार को चुकाना है। विवाद की शुरुआत एजीआर तय करने के तरीके से हुआ। सरकार कंपनियों की कुल आय को आधार मान रही है, जिसमें उनकी सम्पत्तियां व टैरिफ के अलावा होने वाली कमाई भी शामिल है।
वहीं कंपनियां इसका विरोध कर रही है। मामला लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और बात यहां तक पहुंच गई है कि एक सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कह चुका है कि कंपनियां एजीआर की रकम नहीं चुकाना चाहती इसलिए खुद को दिवालिया घोषित कर रही हैं। ऐसे होता है तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
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