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108 कुंडीय नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ के आखिरी दिन खचाखच भरे श्रद्धालुओं की भीड़।

108 कुंडीय नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ के आखिरी दिन खचाखच भरे श्रद्धालुओं की भीड़।


किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार


गाजीपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार शाखा गाजीपुर के तत्वावधान में चलने वाले 108 कुंडीय नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ के आखिरी दिन खचाखच भरे श्रद्धालुओं की भीड़ ने यज्ञ भगवान को सादर पूर्वक आहुतियां समर्पित की| रामलीला मैदान लंका गाजीपुर से वैदिक मंत्रोचार एवं गायत्री महामंत्र के उद्घोष से पूरा जनपद आध्यात्मिक एवं गायत्रीमय वातावरण से गूंज उठा| यज्ञ वेदी पर देव पूजन से शुरू हुआ यज्ञ- हवन में श्रद्धालुओं एवं गायत्री परिजनों ने पूर्ण मनोयोग से अपने सुख समृद्धि हेतु आहुतियां समर्पित की| यज्ञ पंडाल में भारी भीड़ होने से यज्ञ को कई पारियों में कराना पड़ा| यज्ञ के दौरान निशुल्क विविध संस्कार कराए गए| गायत्री यज्ञ के अभिन्न संबंध के महिमा पर बताते हुए टोली नायक एवं अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित श्याम बिहारी दुबे ने कहा कि “गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी और यज्ञ को भारतीय धर्म का पिता कहा गया है| गायत्री जप का अनुष्ठान यज्ञ का समन्वय हुए बिना पूरा नहीं हो सकता| इसके लिए जप के एक अंश का हवन किया जाता है| यज्ञ मनुष्य के अनेक कामनाओं को पूर्ण करने वाला तथा स्वर्ग एवं मुक्ति प्रदान करने वाला है| यज्ञ ही संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है, जो यज्ञ नहीं करते उनका तेज नष्ट हो जाता है| अग्निहोत्र से श्रेष्ठ कोई धर्म नहीं, पर समस्त अग्निहोत्री में गायत्री सर्वश्रेष्ठ है,इसलिए साधना ग्रंथों में गायत्री को ब्रह्मास्त्र कहा गया है |यह शामक भी है -और मारक भी है| गायत्री सद्बुद्धि की देवी और यज्ञ सत्य कर्मों का पिता है| सद्भावना और सत्य प्रवृत्तियों के उद्भव में गायत्री माता एवं यज्ञ पिता का युग्म हर दृष्टि से सफल एवं समर्थ सिद्ध हो सकता है| जगत के दुर्बुद्धि ग्रस्त जनमानस का संशोधन करने के लिए सद्बुद्धि की देवी गायत्री महामंत्र की शक्ति एवं सामर्थ्य अद्भुत भी है और अद्वितीय भी|” टोली नायक पंडित दुबे जी के साथ संगीतमय एवं मनमोहक वाणी से युग गायक हरिप्रसाद चौरसिया, तबला वादक मनीष साहू एवं म्यूजिशियन प्रशांत यादव जी के मंत्रोच्चार को बेहद सरल एवं सहज ढंग से प्रस्तुत किए| यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद यज्ञ पंडाल में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने मां गायत्री की विधिवत आरती की| तत्पश्चात शांतिकुंज हरिद्वार की टोली की अश्रुपूर्ण नेत्रों से विदाई की गई |

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