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साहित्य चेतना समाज का 38वाँ वार्षिक पुरस्कार वितरण एवं ‘गाजीपुर गौरव सम्मान’ समारोह

साहित्य चेतना समाज का 38वाँ वार्षिक पुरस्कार वितरण एवं ‘गाजीपुर गौरव सम्मान’ समारोह


आदित्य कुमार सीनियर क्राइम रिपोर्टर


गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज का 38वाँ वार्षिक पुरस्कार वितरण एवं ‘गाजीपुर गौरव सम्मान’ समारोह (चेतना महोत्सव-2023) गाजीपुर नगर के वंशीबाजार स्थित रायल पैलेस के सभागार में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ।समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार थे।अध्यक्षता लोक गायन के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित अजिता श्रीवास्तव थीं।विशिष्ट अतिथि के रूप में विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष डा.राजीव श्रीगुरुजी,वरिष्ठ साहित्यकार शेख जैनुल आब्दीन एवं प्रमुख उद्यमी ,रामजी केशरी थे।समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन से हुआ। संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी अमर ने संस्था के उद्देश्य व गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।समारोह में राजस्थान विश्वविद्यालय व हिमाचल प्रदेश के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति,जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली के सेन्टर फार मैनेजमेंट स्टडीज के प्रोफेसर (डा.) फुरकान कमर को ‘गाजीपुर गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया।गाजीपुर जनपद के बहरियाबाद निवासी डा.कमर ने कहा कि अपनों के बीच अपनों द्वारा प्राप्त सम्मान सभी सम्मानों से महत्वपूर्ण एवं श्रेष्ठ है।उन्होंने कहा कि शिक्षा एक ऐसा जरिया है जिसके सहारे लोगों के हालात बदल जाते हैं।शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है,इसके बिना शिक्षा बेमानी है।सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों तक शिक्षा का प्रकाश फैलाना हम सभी का नैतिक व सामाजिक दायित्व है।जनपद स्तर पर बिना किसी शासकीय वित्तीय सहायता के विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं के साथ अन्य शैक्षिक,बौद्धिक,साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर यह संस्था इस दायित्व का बखूबी निर्वहन कर रही है जो काबिलेतारीफ है। मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ दुनिया में जितने धर्म,मत,पंथ,सम्प्रदाय व विचाराधाराएं हैं,सब स्वीकार हैं,सभी का सम्मान है।भारतीय सभ्यता व संस्कृति ही ऐसी है जो सभी को स्वीकार करती है।दुनिया का कोई देश ऐसी विविधताओं वाला नहीं है।यहाँ की सभ्यता व संस्कृति सभी का सम्मान करती है,स्वीकार करती है।हमारी पहचान जाति,उपजाति,धर्म उपधर्म, सम्प्रदाय,पंथ,मत से नहीं है।हमारी पहचान भारतीयता है।कोई भी व्यक्ति अपने र्म,पंथ,सम्प्रदाय,जाति,भाषा से बड़ा नहीं होता।वह अपने कर्म और किरदार से बड़ा होता है।

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