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सनातन धर्म के पाँच प्राणों में से एक है गौ:-शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती

  • alpayuexpress
  • Apr 11, 2024
  • 2 min read

सनातन धर्म के पाँच प्राणों में से एक है गौ:-शङ्कराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती


किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार


वाराणसी:- सनातन धर्म के पाॅच प्राण है - गौ, गंगा, गीता, गायत्री और गोविन्द। इनमें से गौ महत्वपूर्ण है। इसीलिए तो सनातनधर्मी गौमाता को सर्वाधिक महत्व देते हुए प्रथम ग्रास गौ के लिए निकालते हैं। गौमाता के पीछे चलने वाला व्यक्ति कभी भी गलत मार्ग पर नहीं जा सकता क्योंकि गौ की पूछ पकडकर चलने वाले को गौमाता कभी गलत मार्ग पर नहीं ले जाती। तभी तो गौमाता की पूछ पकडकर वैतरणी पार करने की बात अपना शास्त्रों में कही जाती है।

उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती '१००८' ने चैत्र नवरात्र के अवसर पर काशी के श्रीविद्यामठ में कही। उन्होंने कहा कि सनातनधर्मी अनुकरणशील होता है। हमारे पूर्व पुरुष जिस मार्ग पर चले हैं उसी मार्ग पर चलकर वह स्वयं को गौरवान्वित अनुभव करता है।

आगे कहा कि संसार की ओर आगे बढाने वाले लौकिक विद्या के अध्ययन से व्यक्ति का सर्वविध अभ्युदय नहीं होता। अध्यात्म की विद्या ही व्यक्ति को जीवन के चरम लक्ष्य तक पहुँचा सकती है। इसीलिए यदि अध्ययन करना ही हो तो ब्रह्मविद्या का अध्ययन करना चाहिए। सायंकालीन सत्र में शङ्कराचार्य जी महाराज ने भगवती राजराजेश्वरी देवी का विशेष पूजन किया।

उक्त जानकारी देते हुए परमधर्माधीश शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय ने बताया कि सांध्यकालीन पूजन के दौरान ही कृष्ण कुमार तिवारी ने श्रीराम चन्द्र कृपालु भज मन,दरबार हजारों देखे हैं पर ऐसा कोई दरबार नही आदि भजनों की मनोहारी प्रस्तुति दी। सांध्यकालीन पूजन के पश्चात परमधर्माधीश जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज के समक्ष आयोजित काव्य संध्या में काशी के प्रसिद्ध कवि सुशांत कुमार शर्मा ने जटायु खण्ड काव्य के अंशों का पाठ किया।

राम कितना रुचिर है चरित आपका।

ज्यो गगन पर उषा की सुघर अल्पना।।

कवि शुभम त्रिपाठी ने

किस पर बाण चलाऊ लक्ष्मण।

हे राम विराजे अंतस में।।

कवि विक्की मद्धेशिया

राह को जाने बिना ही चल रहा है आदमी।

इस तरह खुद ही खुदी को छल रहा है आदमी।।

कवि अंकित मिश्रा ने

सूरज में अग्नि होती है अग्नि में सूर्य नही होता।

कवि प्रेम शंकर ने

ज्ञान का घर मे दीपक जलाओ।

अपने मन से अंधेरा मिटाओ।।

आदि रचनाएं प्रस्तुत कर उपस्थि भक्त समुदाय हो मंत्रमुग्ध कर दिया और उपस्थित लोगों में उन्मुक्त कंठ से कवियों की सराहना की। प्रमुख रूप से सर्वश्री:-मुकुंदानंद ब्रम्ह्चारी,ज्योतिर्मयानंद ब्रम्ह्चारी,परमात्मानंद ब्रम्ह्चारी,मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय,ज्योतिषी पं श्रीकान्त तिवारी जी,देवेन्द्र रावत जी,हजाति कीर्ति शुक्ला,अभय शंकर तिवारी,रमेश उपाध्याय,चांदनी चौबे आदि लोगों सहित भारी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

 
 
 

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