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श्री राम के नाम से बदल गया जीवन,ऐसे बने डाकू से संत!...महर्षि वाल्मीकि की धूमधाम से मनाई गई जयंती

श्री राम के नाम से बदल गया जीवन,ऐसे बने डाकू से संत!...महर्षि वाल्मीकि की धूमधाम से मनाई गई जयंती


आदित्य कुमार सीनियर क्राइम रिपोर्टर


गाजीपुर:- हिंदू धर्म में महर्षि वाल्मीकि को श्रेष्ठ गुरु माना जाता है, कहते हैं कि पहले वाल्मीकि जी डाकू थे, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उनका जीवन बदल दिया और उन्होंने भगवान श्री राम के जीवन पर आधारित रामायण महाकाव्य लिख दी। महर्षि वाल्मीकि का जीवन बहुत ही संघर्षों से भरा रहा है। आज जखनिया ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी संजय कुमार गुप्ता के देखरेख में नब्बे ग्राम पंचायत के मंदिरों पर सचिव ,प्रधान,सहित अन्य लोग उपस्थित होकर कीर्तन और सुंदर पाठ और रामायण पढ़कर कर मनाए।खंड विकास अधिकारी संजय कुमार गुप्ता ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की जयंती आज धूमधाम से मनाई गई ।उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि का असली नाम रत्नाकर था, कहा जाता है कि यह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र प्रचेता के बेटे थे. वहीं कुछ जानकार वाल्मीकि जी को महर्षि कश्यप चर्षणी का बेटा भी मानते हैं. कहा जाता है कि एक भीलनी ने बचपन में महर्षि वाल्मीकि का अपहरण कर लिया था और भील समाज में ही उनका पालन पोषण हुआ. भील लोग जंगल के रास्ते से गुजरने वाले राहगीरों को लूट लिया करते थे और महर्षि वाल्मीकि भी इसी परिवार के साथ डकैत बन गए थे.

एक घटना ने बदली रत्नाकर की जिंदगी

कहा जाता है कि एक बार नारद मुनि जंगल के रास्ते जाते हुए डाकू रत्नाकर के चंगुल में आ गए थे. तब नारद जी ने उनसे कहा कि इसमें कुछ हासिल नहीं होगा. रत्नाकर ने उनसे कहा कि वो ये सब परिवार के लिए करते हैं. तब नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि क्या तुम्हारे घर वाले भी तुम्हारे बुरे कर्मों के साझेदार बनेंगे? इस पर रत्नाकर ने अपने घर वालों के पास जाकर नारद मुनि का सवाल दोहराया, जिस पर उन्होंने इनकार कर दिया. इससे डाकू रत्नाकर को बड़ा झटका लगा और उनका हृदय परिवर्तन हो गया.

राम से प्रेरित होकर लिखा महाकाव्य

कहा जाता है कि नारद मुनि से प्रेरित होकर रत्नाकर ने राम नाम का जाप करना शुरू किया, लेकिन उनके मुंह से राम की जगह मरा मरा शब्द निकल रहे थे. नारद मुनि ने कहा यही दोहराते रहो इसी में राम छुपे हैं. इसके बाद रत्नाकर के मन में राम नाम की ऐसी अलख जगी कि उनकी तपस्या देखकर ब्रह्मा जी ने उन्हें खुद दर्शन दिए और उनके शरीर पर लगे बांबी को देखकर ही ब्रह्मा जी ने उन्हें वाल्मीकि नाम दिया. महर्षि वाल्मीकि को ब्रह्मा जी से ही रामायण की रचना करने की प्रेरणा मिली. उन्होंने संस्कृत में रामायण लिखी, जिसे सबसे पुरानी रामायण माना जाता है। इस मौके पर एडीओ पंचायत राजकमल गौरव, सचिव फैज अहमद,प्रधान राम लखन यादव, कमलेश चौहान, गुड्डू राजभर, हरेंद्र कुमार, शंभू कुमार, संजय राजभर, बाला यादव परशुराम मौर्य हरिशंकर चौहान हरिओम मद्धेशिया मदन कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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