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राष्ट्रपति को संबोधित 21 सूत्रीय मांग पत्र!...केंद्र सरकार व आरएसएस की नीतियों के खिलाफ आदिवासी एकता

राष्ट्रपति को संबोधित 21 सूत्रीय मांग पत्र!...केंद्र सरकार व आरएसएस की नीतियों के खिलाफ आदिवासी एकता परिषद ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन


मोहम्मद इसरार पत्रकार (उप संपादक)


सैदपुर। खबर गाजीपुर जिले से है जहां पर राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार और आरएसएस की नीतियों के खिलाफ मंगलवार को राष्ट्रपति को संबोधित 21 सूत्रीय मांग पत्र सैदपुर उपजिलाधिकारी कार्यालय में सौंपा। जिसके माध्यम से परिषद ने केंद्र सरकार पर आदिवासियों को जल जंगल और जमीन से विस्थापित करने का आरोप लगाया। साथ ही परिषद ने समान नागरिक संगीता सहित अन्य कई मुद्दों पर विरोध जताया। संघ के सैदपुर प्रभारी विनोद कुमार बागी मांग पत्र के साथ तहसील पहुंचे। यहां कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित परिषद के 21 सूत्रीय मांग पत्र एसडीएम की अनुपस्थिति में उनके कार्यालय के लिपिक को सौंपा। परिषद के तहसील प्रभारी विनोद कुमार बागी ने बताया कि आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचान प्राप्त है और इसी पहचान के आधार पर तमाम प्रकार के सामाजिक, शैक्षणिक, धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आदि विरासत को सुरक्षित करने के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने समान नागरिक संहिता को आदिवासियों को मिली अलग आदिवासी पहचान को खत्म कर, उन्हें हिंदू बनाने की साजिश बताया। नए फॉरेस्ट एक्ट को आदिवासियों के अस्तित्व के लिए खतरा बताया। मणिपुर में आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचार पर रोक लगाने की मांग किया। आरएसएस पर आदिवासियों को हिंदू बनाने की साजिश का आरोप लगाया। कहा कि मध्यप्रदेश में आदिवासी युवक दशमत के सर पर पेशाब करने वाले प्रवेश शुक्ला को हम तभी माफ करेंगे, जब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आदिवासी युवक का पैर धोएंगे। हम इस मुद्दे को भारत बंद में शामिल करेंगे। इस मौके पर भारत मुक्ति मोर्चा के जिला प्रभारी विजय कुमार आदिवासी, कामता प्रसाद आदि रहे।

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