महिला ने डीएम से लगाई थी गुहार!...महीनों बाद भी नहीं मिला न्याय,जानबूझकर मामले को रखा गया है लंबित
- alpayuexpress
- Jun 14
- 3 min read
जखनियां तहसील में!...राजस्व विभाग के कर्मचारी का भ्रष्टाचार का हुआ खुलासा
महिला ने डीएम से लगाई थी गुहार!...महीनों बाद भी नहीं मिला न्याय,जानबूझकर मामले को रखा गया है लंबित

संतोष नाई वरिष्ठ पत्रकार
जून शनिवार 14-6-2025
गाजीपुर:- ख़बर गाज़ीपुर ज़िले से है जहां पर जिले की जखनियां तहसील इन दिनों राजस्व विभाग के भ्रष्ट आचरण और लापरवाही को लेकर तीखी चर्चाओं में है। हाल ही में तहसील में कार्यरत एक राजस्व कर्मचारी द्वारा एक पीड़ित महिला की जमीन से संबंधित प्रकरण में जानबूझकर मामले को लंबित रखने और संभावित अवैध वसूली के प्रयासों ने प्रशासनिक तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब ग्राम हंसराजपुर बभनौली की निवासी पूनम देवी पत्नी राजकुमार ने जिलाधिकारी को एक लिखित प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। महिला ने आरोप लगाया है कि उसने वर्ष 2009 में गोपाल सिंह पुत्र गौरीशंकर निवासी रंजीतपुर, थाना शादियाबाद से आराजी नंबर 141 व 142 की संयुक्त रकबा से एक विस्वा भूमि की रजिस्ट्री कराई थी। इसके बावजूद आज तक उसे जमीन का कब्जा नहीं मिला है।महिला का आरोप है कि कई बार जमीन का नाप-जोख करवाने के लिए संबंधित लेखपाल,कांगो से अनुरोध किया गया, लेकिन न तो किसी ने भूमि नापी और न ही कब्जा दिलवाया गया। जब पीड़िता ने विक्रेता गोपाल सिंह से संपर्क किया तो उसे अभद्र भाषा में अपशब्द कहकर भगा दिया गया और धमकी दी गई कि "लेखपाल,कांगो से कह दिया गया है, वही आकर नाप कर देगा।"
डीएम को दिया गया प्रार्थना पत्र और महीनों की चुप्पी:-पूनम देवी ने जिलाधिकारी गाजीपुर को 5 मई 2025 को शिकायती पत्र देकर अपनी आपबीती विस्तार से बताते हुए न्याय की गुहार लगाई थी। पत्र में उन्होंने साफ-साफ उल्लेख किया कि उन्होंने रजिस्ट्री के समय जमीन की पूरी कीमत अदा की थी, फिर भी कब्जा नहीं मिल रहा। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि लेखपाल मौके पर जाकर भूमि की पैमाइश कर उन्हें कब्जा दिलवाएं ताकि वे खेती-बारी कर सकें और अपना मकान बनाकर जीवन यापन कर सकें।मगर शिकायत दिए हुए एक महीना बीत गया है और अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। पीड़िता का आरोप है कि तहसील के कर्मचारी और संबंधित राजस्व कर्मी शिकायतों को जानबूझकर लटकाते हैं और फिर अवैध वसूली की कोशिश करते हैं। जब तक पैसा हाथ में न आए, कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
क्या डीएम और एसडीएम को नहीं होती शिकायतों की मॉनिटरिंग?:-यह मामला तहसील स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों के उस रवैये को उजागर करता है जिसमें डीएम या एसडीएम द्वारा भेजी गई शिकायतें भी अधीनस्थों के हाथों में पहुंचने के बाद ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं। सवाल यह उठता है कि क्या अधिकारियों का काम केवल शिकायत को अग्रसारित करना है या उसकी प्रगति पर नजर भी रखनी चाहिए?*_ग्रामीणों में आक्रोश,तहसील की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल:-_*जखनियां तहसील में इस तरह की शिकायतें नई नहीं हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि किसी भी शिकायत के बदले में पहले ‘तय रकम’ का खेल शुरू हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जमीन संबंधित शिकायतों में बिना “चढ़ावा” चढ़ाए कुछ नहीं होता। यही वजह है कि लोगों में राजस्व विभाग के खिलाफ रोष पनप रहा है।
पीड़िता की मांग,सिर्फ कब्जा नहीं, न्याय चाहिए :- पूनम देवी का कहना है कि वह अब थक चुकी हैं। वर्षों पहले खरीदी गई जमीन पर आज तक खेती नहीं कर पाईं और अब उनके पास निर्माण करने के लिए भी कोई जगह नहीं है। प्रशासन से उन्होंने यह अपील की है कि सिर्फ पैमाइश कर कब्जा दिलाना ही नहीं, बल्कि दोषी कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जाए ताकि कोई और महिला या गरीब व्यक्ति इस प्रकार प्रताड़ना का शिकार न हो।यह मामला न सिर्फ एक पीड़ित महिला की भूमि संबंधी शिकायत का है, बल्कि एक व्यापक प्रणालीगत समस्या की ओर इशारा करता है, जहां पारदर्शिता और जवाबदेही नाममात्र की रह गई है। अब देखना यह है कि जिलाधिकारी गाजीपुर इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और क्या पीड़िता को मिलेगा न्याय या यह भी एक और फाइल बनकर सरकारी दराज में बंद हो जाएगा।
コメント