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मऊ जनपद में सरकार की विभिन्न योजनाओं के प्रभाव से विकसित हुआ कृषि का नवीन स्वरूप : राजीव यादव

  • alpayuexpress
  • Mar 21, 2024
  • 2 min read

मऊ जनपद में सरकार की विभिन्न योजनाओं के प्रभाव से विकसित हुआ कृषि का नवीन स्वरूप : राजीव यादव


किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार


गाजीपुर:खबर गाजीपुर जिले से है जहां पर पी०जी० काॅलेज गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे कला संकाय के भूगोल विषय के शोधार्थी राजीव यादव ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक "मऊ जनपद (उ०प्र०) में कृषि विकास: एक भौगोलिक अध्ययन’’ नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि मऊ जनपद एक ग्रामीण जनसंख्या बाहुल्य जनपद है। यहाँ की 77.37 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है जो अपनी आजीविका हेतु मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। जनपद मऊ में कृषि में अपार संभावनाएं है, देश की स्वतंत्रता के समय यहाँ कृषि की दशा अत्यन्त दयनीय थी। कृषि जीवन निर्वाह मूलक थी। परन्तु स्वतंत्रता के पश्चात् केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के प्रयासों से तथा इनके द्वारा संचालित विविध योजनाओं से इस जनपद में कृषि विकास हेतु आवश्यक सुविधाओं जैसे- सिंचाई के साधनों, कृषि यन्त्रों, उन्नतशील बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों, शीतभण्डार गृहों एवं ग्रामीण गोदामों की उपलब्धता तथा वित्तीय एवं विपणन सुविधाओं की प्रचुर उपलब्धता और परिवहन, संचार एवं ऊर्जा के साधनों के विकास ने जनपद में कृषि विकास के स्वरूप को आज पूर्णतया नवीन रूप में बदल दिया है। आज कृषि केवल जीवन निर्वाह के लिए नहीं की जा रही है, अपितु इसका स्वरूप व्यापारिक हो गया है और आज की कृषि व्यापार हेतु भी की जा रही है। यहाँ कृषि न केवल जनसंख्या का भरण-पोषण कर रही है बल्कि जनपद में अनेक औद्योगिक एवं अन्य आर्थिक कार्यों को आधार प्रदान कर की जा रही है। इन सब के बावजूद जनपद में कृषि विकास के स्तर में क्षेत्रीय विषमता बहुत अधिक है, कुछ क्षेत्र कृषि विकास में बहुत आगे निकल गये हैं, परन्तु कुछ अभी भी पिछड़े हुए हैं। प्रस्तुत शोध प्रबंध में इन पिछड़े हुए क्षेत्रों की पहचान की गई है और उनके विकास हेतु सम्यक सुझाव भी दिए गए है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सदस्यों, प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के चेयरमैन एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान की। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक एव भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० सुनील कुमार शाही, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के सदस्य प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० राम दुलारे, डॉ० के० के० पटेल, डॉ० लव जी सिंह, डॉ० एस० एन० मिश्रा, डॉ० नितिश कुमार भारद्वाज, डॉ० गौतमी जैसवारा, डॉ० अंजनी कुमार गौतम, डॉ० धर्मेन्द्र एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत मे शोध निर्देशक डॉ० सुनील कुमार शाही ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने किया।

 
 
 

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