भाई दूज पर जानें भाई को तिलक करने का शुभ महूर्त!...बहनें अपने भाई के माथे पर भाग्योदय का करती हैं तिलक
किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार
गाजीपुर:- कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाते हैं।इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर भाग्योदय का तिलक करती हैं और उनके लिए मंगलकामनाएं करती हैं. बहनें भाई की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। कहते हैं कि जो भाई इस दिन बहन से तिलक कराता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
इस साल भाई दूज की तिथि को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन है. कोई 14 नवंबर तो कोई 15 नवंबर को भाई दूज बता रहा है. आइए जानते हैं कि भाई दूज का त्योहार कब मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नंवबर दोपहर 02.36 बजे से शुरू हो जाएगी और इसका समापन 15 नंवबर को दोपहर 01.47 बजे होगा. उदिया तिथि के चलते भाई दूज का त्योहार 15 नवंबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक है. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है। भाई दूज पर क्या करना चाहिए?भाई दूज के दिन यमुना के जल या शुद्ध जल से स्नान करें।
अपनी बहन के घर जाएं और बहन के हाथों से बना हुआ खाना खाएं. बहन अपने भाई को खाना खिलाए और उसका तिलक-आरती करे. फिर भाई अपने सामर्थ्य के मुताबिक बहन को कुछ उपहार दें। भाई दूज यानी यम द्वितीया पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनें व्रत भी रखती हैं।
भाई दूज के दिन यमराज के साथ उनके सचिव चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो एक खास विधि से चित्रगुप्त का पूजन करने से ही मिलता है पूरा लाभ। भाई दूज पर चित्रगुप्त की पूजा चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था. इनका काम प्राणियों के कर्मों का हिसाब रखना है. मुख्य रूप से इनकी पूजा भाई दूज के दिन होती है।
इनकी पूजा से लेखनी, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है. चित्रगुप्त भगवान के विग्रह की स्थापना करें. उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं. फिर फूल और मिठाई चढ़ाएं. उन्हें एक कलम भी अर्पित करें। एक सफेद कागज पर हल्दी लगाकर उस पर "श्री गणेशाय नमः" लिखें. फिर "ॐ चित्रगुप्ताय नमः" 11 बार लिखें. भगवान चित्रगुप्त से विद्या,बुद्धि और लेखन का वरदान मांगें. अर्पित की हुई कलम को सुरक्षित रखें, पूरे साल इसका इस्तेमाल करें।
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