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बच्चों को बना दिया मजदूर!...वाह रे विशुनपुर कंपोजिट विद्यालय के अध्यापक अध्यापिकाओं की शिक्षा

बच्चों को बना दिया मजदूर!...वाह रे विशुनपुर कंपोजिट विद्यालय के अध्यापक अध्यापिकाओं की शिक्षा


रजत श्रीवास्तव मंडल ब्यूरो चीफ


गाजीपुर:- खबर गाजीपुर जिले से है जहां पर एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानना बहुत ही जरूरी है मामला बच्चों के भविष्य और शिक्षा से संबंधित है की किस प्रकार बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है,आपको बताते चलें कि जिले में कंपोजिट विद्यालय विशुनपुर, पिपरही शिक्षा क्षेत्र सदर गाजीपुर में लगातार तीन दिनों से बच्चों द्वारा ईंट ढुलाई का कार्य वहां के सहायक अध्यापक अरविंद कुमार जायसवाल, व समस्त टीचरों द्वारा कराया जा रहा है। बच्चों को विद्यालय बुलाकर उन्हें पढ़ाई के नाम पर धोखा दिया जा रहा है। गांव के भोले -भाले माता -पिता इस बात को समझ नहीं पा रहे हैं कि जिन बच्चों के हाथ में पेंसिल व काफी होनी चाहिए उन बच्चों के हाथ में विशुनपुर विद्यालय के क्रूर अध्यापक अध्यापिकाओं द्वारा बच्चों के हाथ से ईट ढुलाई जा रही है। जब यह जानकारी हमारी टीम को हुई। तब हम विद्यालय पर अपनी टीम के साथ पहुंचे। तो बच्चे वहां एट ढोने के बाद के बाद खेल रहे थे। जब हमने बच्चों से पूछा की आप लोग यह सारी ईंटें कितने दिनों में ढुले हैं तो बच्चों ने बताया की 2 दिन में। जब बच्चों से पढ़ाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सिर्फ सुबह से 1 घंटी में पढ़ाई हुआ है। बाकी समय में हम सब ने मिलकर ईट ढोई है। जब इसके बारे में वहां के सहायक अध्यापक अरविंद कुमार जायसवाल व सहायक अध्यापिकाओं से पूछा गया।

तब उनके पास कोई जवाब नहीं था। जब बच्चों के मिड डे मील के बारे में पूछा गया तब बच्चों ने बताया कि सिर्फ खिचड़ी ही मिलती है बाकी कोई और भोजन नहीं मिलता।जब इस बारे में सहायक अध्यापक अरविंद कुमार जी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां की प्रधान बिंदु यादव खाने की सामग्री को समय से नहीं देती हैं। जिसके अभाव में बच्चों को प्रतिदिन खिचड़ी दी जाती है। शिकायत करने पर भी उनके ऊपर कोई असर नहीं होता। सहायक अध्यापक अरविंद कुमार जायसवाल ने बताया कि यहां के प्रधानाध्यापक ट्रेनिंग पर है। जिसका चार्ज मुझे मिला है। जब विद्यालय की टीचर बच्चों के साथ पढ़ाई की जगह इस तरह का कार्य करेंगे। तब बच्चे कैसे आगे बढ़ेंगे। यह बहुत ही निंदनीय कार्य है। अगर इस कार्य को अधिकारी अपने संज्ञान में नहीं लेते हैं। तो यह जिले का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होगा। ऐसे अध्यापकों के साथ कठोर कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

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