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नवरात्र से एक दिन पहले बीएचयू में नवजात बच्ची मिलने से हड़कंप!...मां-बाप ने ठुकराया तो सफाई कर्मी बनी

नवरात्र से एक दिन पहले बीएचयू में नवजात बच्ची मिलने से हड़कंप!...मां-बाप ने ठुकराया तो सफाई कर्मी बनी सहारा


रजत श्रीवास्तव मंडल ब्यूरो चीफ


वाराणसी:- बीएचयू अस्पताल परिसर में तीन दिन की नवजात बाल रोग विभाग के सामने टिनशेड की कुर्सी पर लावारिस हाल में मिली। वह सुबह आठ बजे तक कुर्सी पड़ी रही। भूख से तड़ती रही। सफाई कर्मी शहनाज की निगाह पड़ी तो उसने मासूम को कलेजे से लगा लिया। भूख से तड़प रही बच्ची को खरीदकर दूध पिलाया और डॉक्टरों के पास ले गई। मासूम की तबीयत खराब है। बीएचयू के डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। मामले की सूचना पर पुलिस पहुंची और छानबीन किया। बीएचयू अस्पताल परिसर में तीन दिन की नवजात को शनिवार की सुबह पांच बजे बाल रोग विभाग के सामने टिनशेड की कुर्सी पर लावारिस छोड़ दिया गया। वह सुबह आठ बजे तक कुर्सी पड़ी रही। भूख से तड़ती रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। इस बीच एमएआरआई में ड्यूटी कर रही महिला सफाई कर्मी शहनाज की निगाह बिटिया पर पड़ गई। शहनाज भागकर गई और उसे कलेजे से लगा लिया। साथ ही पूरे मामले की जानकारी बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों को दी और मासूम को उनकी सुपुर्दगी में दे दिया। सुरक्षा कर्मियों ने आईएमएस बीएचयू में प्रोकटोरोइयल बोर्ड की टीम को बताया और बच्ची को अस्पताल की इमरजेंसी ले गए। बाल रोग विभाग के पीडियाट्रिक इन्सेटिव केयर यूनिट(पीआईसीयू) में भर्ती करके बच्ची का इलाज किया जा रहा है।

चार कपड़ों में लिपटी बच्ची की जान खतरे में थी। उसे जहां फेंका गया था, वहां कई आवारा कुत्ते रहते हैं। बच्चों पर कई बार हमला करते हैं। कुर्सी पर पड़े होने की वजह से बच्ची सुरक्षित रही। इसी बीच महिला सुरक्षाकर्मी की निगाह पड़ गई।

चिल्ड्रेन वार्ड में बच्ची पहुंची तो वहां मौजूद महिला डॉक्टर ने  इलाज शुरू कर दिया। बच्ची को चोट नहीं लगी थी। तबीयत जरूर खराब है। इसी वजह से पीआईसीयू में भर्ती करके इलाज किया जा रहा है।

मां-बाप के खिलाफ चल सकता है आपराधिक मुकदमा

नवजात को फेंकने वाले मां-बाप के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल सकता है। इसका प्रावधान कानून में है। यह भी जिक्र है कि बिना किसी के आगे आए पुलिस मुकदमा दर्ज करके जांच करेगी। आरोपी तक पहुंचेगी, फिर आरोप पत्र अदालत में दाखिल करेगी। यह कृत्य संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। काशी में अब तक इन धाराओं में मुकदमा ही नहीं दर्ज है। पुलिस के आला अफसर और थानाध्यक्षों को भी जानकारी नहीं है।

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