त्याग,करूणा और श्रद्धा की त्रिवेणी!...स्वामी भवानीनन्दन यति का आस्था पूर्व मनाया गया आविर्भाव दिवस
किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार
गाजीपुर। सिद्धपीठ हथियाराम के 26वें पीठाधिपति पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय महामण्डलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति महाराज का अवतरण दिवस भादो मास के शुक्लपक्ष अष्टमी (राधाष्टमी) तिथि अर्थात 22 सितम्बर शुक्रवार को समारोह पूर्वक मनाया गया। श्रद्धालु भक्तों ने पीठाधिपति का भव्य अभिनंदन वंदन किया। संतो और विद्वतजनों ने प्राचीन सनातन संस्कृति की महत्ता का वर्णन करते हुए सनातन संस्कृति पर आसन्न संकट को दूर करने के लिए सदगुरुओं के मार्ग दर्शन में आगे आकर इसकी रक्षा करने का आह्वान किया। वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट रहे रत्नेश दूबे सहित राम अलम सिंह मधुर और अन्य गायक कलाकारों ने भजन प्रस्तुत किया। कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने गीता पाठ व स्वागत गान किया।
गौरतलब है कि देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा पर जन्मे स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज का 23 फरवरी 1996 को सिद्धपीठ हथियाराम के 26वें पीठाधिपति के रूप में यहां आगमन हुआ था। एक सिद्ध साधक और अनुभोक्ता के रूप में धर्म संस्कृति को बचाने और बनाये रखने हेतु सतत प्रयत्नशील स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज त्याग, करुणा और श्रद्धा की त्रिवेणी हैं। विद्वत्ता प्राप्त करने से ज्यादा सज्जनता को अंगीकार करने का संदेश देने वाले जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति जी महाराज द्वारा सिद्ध संतों की परंपरा का निर्वहन करते हुए किए जाने वाले चातुर्मास अनुष्ठान के दौरान राधाष्टमी को उनका अवतरण दिवस मनाया जाता है। इस पावन बेला पर सर्वप्रथन उन्होंने गौशाला में जाकर गोमाता की पूजा किया। तत्पश्चात बुढ़िया माता और मां सिद्धेश्वरी मंदिर में तथा यज्ञ मंडप में पूजा अर्चना किया। मंचीय कार्यक्रम का आरंभ ब्रह्मलीन संत स्वामी बालकृष्ण यति महाराज के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अपने उद्बोधन में स्वामी भवानी नन्दन यति ने कहा कि जन्म उत्सव के प्रति मेरा कोई उत्साह नहीं लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करना मेरे जीवन का सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि आज के दिन मुझे आप सभी श्रद्धालुओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह मेरे लिए सौभाग्य का दिन है, जिस दिन मैं आप लोगों से आशीर्वाद प्राप्त करता हूं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो विश्व का कल्याण हो, के ध्येय वाक्य पर विश्वास करता है। कहा कि सभ्य समाज के लिए अभिशाप बनते जा रहे वासना को समाप्त करने के लिए उपासना से जुड़ना होगा। कहा कि सरसंघ चालक मोहन भागवत जी जैसे महापुरुष यदि इस मठ पर आते रहे तो यह मठ महामंदिर बन जायेगा। वाराणसी के अपर आयुक्त विश्वभूषण मिश्रा ने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि सनातन संस्कृति पर आसन्न संकट को दूर करने के लिए इससे जुड़े लोगों को ही आगे आना होगा। मौजूदा समय मंचों के माध्यम से सनातन संस्कृति को समाप्त करने की धमकी दी जा रही है, जिसे मुंहतोड़ जबाव देने के लिए महामंडलेश्वर जैसे सदगुरुओं के मार्ग दर्शन में जन सामान्य को आगे आना होगा। उन्होंने श्रीराम के प्रसंग को उद्धृत करते हुए कहा कि यदि श्रीराम चाहते तो भरत से कहकर सेना बुलवाकर लंकाधिपति रावण पर विजय प्राप्त कर सकते थे, लेकिन उन्होंने आमजन को आगे करके लंका पर विजय प्राप्त करके यह संदेश देने का काम किया कि राक्षसी संस्कृति पर सदगुरू के मार्ग दर्शन में कार्य करते हुए विजय प्राप्त किया जा सकता है। साध्वी निष्ठा ने कहा कि महापुरुषों का अवतरण होता है और यह हमें संसार रूपी कुंए से बाहर निकालने का काम करते हैं।
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