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तीन वर्षों से अधूरा है सामुदायिक शौचालय का निर्माण!...सामुदायिक शौचालय निर्माण के नाम पर सरकारी धन क

  • alpayuexpress
  • Nov 16, 2023
  • 3 min read

तीन वर्षों से अधूरा है सामुदायिक शौचालय का निर्माण!...सामुदायिक शौचालय निर्माण के नाम पर सरकारी धन की हो रही बर्बादी


मोहम्मद इसरार पत्रकार उप संपादक


दुल्लहपुर : खबर गाजीपुर जिले से है जहां पर जखनिया ब्लॉक के ग्राम सभा धामूपुर गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय निर्माण की मुहिम 3 वर्ष पहले शुरू की गई थी लेकिन, अभी तक अभियान पूरा नहीं हो सका है। यह सामुदायिक शौचालय पूर्व ब्लाक प्रमुख गरीब राम के घर के सामने बनाया गया है। पूर्व ब्लाक प्रमुख और उनके परिवार के लोग यूज करते हैं। गांव के लोग आज तक उस सामुदायिक शौचालय को देखे भी नहीं है। अधिकांश गांवों में लाखों रुपये खर्च करके शौचालय तो बना दिए गए लेकिन, उनका ताला नहीं खुलता है। पूर्व ग्राम प्रधान जनार्दन यादव सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के लिए आये धन की बंदर बाट

कुछ शौचालय बाहर से तो तैयार दिखते हैं लेकिन, अंदर सीट व अन्य सुविधाएं नदारद हैं। ऐसे में सरकारी पैसे की बर्बादी हो रही है। पेश है रिपोर्ट । ग्राम पंचायतों में कागज पर भले ही सामुदायिक शौचालयों का संचालन हो गया हो। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। यहां के अधिकतर गांवों में या तो सामुदायिक शौचालय अधूरे पड़े हैं या फिर उनके ताले ही नहीं खुल रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों को अब भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। पंचायती राज विभाग की ओर से स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत घर-घर शौचालय बनवाए गए हैं। लेकिन तमाम ग्रामीण ऐसे हैं जिनके पास शौचालय बनवाने के लिए भूमि ही नहीं है। ऐसे लोग भी खुले में शौच नहीं जाएं, इसको देखते हुए हर ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचलय का निर्माण कराया गया है।

ज्यादातर शौचालय अधूरे पड़े हैं। किसी में रनिंग वाटर सप्लाई नहीं है तो किसी में गड्ढा नहीं बना या फिर टाइल्स नहीं लगी है। इसकी बानगी ग्राम पंचायत धामूपुर, के गांव में देखी जा सकती है। इन गांवों में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण अभी भी अधर में है। नतीजतन अभी भी ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हो रहे हैं। जबकि शौचालय निर्माण कागज हो गया है। इसका भुगतान भी हो गया है। इसकी 2 लाख रुपए से आस पास बताई जा रही है। जबकि स्नान के लिए पर्सनल यूज किया जा रहा है। इस हरिजन बस्ती की आबादी लगभग 600 सौ से 700 से अधिक आबादी लेकिन यहां के लोगों को सौच के लिए बाहर जाना पड़ता है।औपचारिकता के ग्राम पंचायत धामूपुर के राजस्व गांव चकमकपुर में बना सामुदायिक शौचालय तो बेहतरीन है। बेहतरीन हो भी क्यों नहीं सरकार ने भरपूर पैसे जो खर्च किए हैं। पर जिम्मेदार शासन की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। ऐसे में लोगों को शौच करने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है। जिससे स्वच्छ भारत मिशन की पोल खुल रही है।शौचालय बाहर से तो सब चकाचक दिखाया जा रहा है लेकिन अंदर कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक की पानी के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में जाफरपुर के लोग खुले में शौच करने जाते हैं। इसकी बानगी हर दिन सुबह को देखने को मिलती है। जबकि स्वच्छ भारत बनाने के लिए पीएम व सीएम गंभीर है लेकिन अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं है। निर्माण काल से बंद पड़ा सामुदायिक शौचालय पर लाखों रुपये खर्च किए जा चुके है। बावजूद जिम्मेदार इसे चालू नहीं कर रहे हैं। जिससे स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ रही है। इस तरफ जिम्मेदार को ध्यान देने की जरूरत है। गांव के शुभम, दीपक,उपेंद्र, विशाल लालजी, पंकज कुमार समाजसेवी अनिकेत चौहान और समाजसेवी मंजीत कुमार सूर्यवंशी मौजूद थे।

 
 
 

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