जिला अस्पतालों की जमीनी हकीकत!...सीनियर डॉक्टर की कुर्सी पर जूनियर वाह रे मेडिकल कॉलेज
किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार
गाजीपुर:- खबर गाजीपुर जिले से है जहां पर जिला अस्पताल जब से महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कॉलेज बना है तब से मेडिकल कॉलेज प्रशासन की तरफ से तरह-तरह के सुविधाएं मेडिकल कॉलेज में दिखाई जा रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत पर कुछ और है आपको बता दें कि पुराने बिल्डिंग में ओपीडी बंद कर नए बिल्डिंग में चालू करते ही मरीजों को काफी परेशानियों का सामना पड़ रहा है कौन डॉक्टर किस चेंबर में अभी तक कोई इंडिकेशन तक नहीं है यही नहीं बल्कि सभी नंबरों में सीनियर डॉक्टरों की जगह जूनियर डॉक्टर सीनियर डॉक्टर की कुर्सी पर बैठे नजर आते हैं मरीजों ने बताया कि सीनियर डॉक्टर कब आते हैं कोटा पूर्ति कर चले जाते हैं इसकी कोई समय सीमा नहीं है वही मीडिया के लोगों के द्वारा जॉब डॉक्टरों के चेंबर में बात किया गया तो जूनियर बताते है कि डॉक्टर साहब अभी राउंड पर गए हैं तो इमरजेंसी में गए हैं जबकि डॉक्टर साहब का पता ना तो कभी इमरजेंसी में आ ना ही वार्डों में चलता है वही एक वाकया शुक्रवार का है जब सेवराई जमानिया के निवासी निरंजन वर्मा ने अपनी माताजी का बच्चेदानी का ऑपरेशन जिला अस्पताल में कराया था और शुक्रवार को डॉक्टर को दिखाने के बाद डॉक्टर ने दवा लिख दिया जब मरीज के पुत्र निरंजन वर्मा के द्वारा जन औषधि केंद्र में दवा लेने गए और अपनी मजबूरी बताते हुए उसने बताया कि मैं बहुत दूर से आता हूं हमारे यहा ये दवा नही मिलती है मुझे एक पत्ता दवा और दे दे लेकिन वहां के स्टाफ द्वारा उसके साथ बदतमीजी करते हुए हाथापाई की गई इसके बाद निरंजन ने मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य आनंद मिश्रा से बात किया तो आनंद मिश्रा के द्वारा यह बता कर टाल दिया गया कि महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कॉलेज में जनऔषधि केंद्र उनके अंडर में नहीं आता जबकि जन औषधि के गेट पर लिखा है कि प्रवेश वर्जित आज्ञा से प्रधानाचार्य अगर जन औषधि केंद्र मेडिकल कॉलेज के अंडर में नहीं आता तो फिर प्रवेश वर्जित आज्ञा से प्रधानाचार्य का इंडिकेशन क्यों लगा है इस दो तरह की बयानबाजी से मरीजों में भी आक्रोश दिखा वहीं जन औषधि केंद्रों में इस तरह से मरीजों के साथ वहां के स्टाफ द्वारा बदतमीजी व व्यवहार किया जा रहा है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है
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