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'जल' शब्द में संसार का सृजन और विध्वंस!...शंकराचार्य जी महाराज के पावन सानिध्य में हुआ 81 वीं जल सभा

'जल' शब्द में संसार का सृजन और विध्वंस!...शंकराचार्य जी महाराज के पावन सानिध्य में हुआ 81 वीं जल सभा का हुआ आयोजन


किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार


वाराणसी:- आई सी ए हेल्थ एंड एनवायरनमेंटल सोसाइटी द्वारा संकल्पित 108 जल सभाओं के क्रम में 81वीं जल सभा का आयोजन काशी के शंकराचार्य घाट स्थिति श्रीविद्या मठ में अनं श्री विभूषित ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में सम्पन्न हुआ। संस्था की तरफ से 81वीं जल सभा पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज को समर्पित किया गया। पूज्यपाद ज्योतिषपीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 'जल' शब्द में संसार का सृजन और विध्वंस दोनों सन्निहित है। विश्व मे जल का कोई संकट नहीं है बल्कि संकट शुद्ध पेय जल का है। 

आज इस देश में गाय और गंगा पर लगातार प्रहार हो रहा है। गंगा को राष्ट्र नदी को घोषित किया गया लेकिन अभीतक उसे राष्ट्र नदी का प्रोटोकॉल नहीं प्राप्त हुआ। इस पर दुःख व्यक्त करते हुए उन्हीने कहा कि अगर देश की सरकार उन्हें राष्ट्र नदी का सम्मान नहीं दे सकती है।तो वे गंगा से राष्ट्र नदी का नाम भी समाप्त कर दें। 

उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन ज्योतिष एवं द्वारका पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य ने गंगा और जनमानस के लिए शुद्ध पेय जल के अधिकार की बात किया था उसे संस्था गंगा सेवा अभियानम को समर्पित करते हुए जो जल सभा आयोजित कर रही है वह एक दिन देश में लोगों को गंगा और शुद्ध पेय जल को लेकर आंदोलित करेगी।संस्था के इस प्रयास को लेकर उन्होंने संस्था को अपना आशीर्वाद भी प्रदान किया।

कार्यक्रम में संस्था के सचिव अभय शंकर तिवारी ,अनिल कुमार, रवी त्रिवेदी,डॉ आदित्य तिवारी और अतहर जमाल लारी ने भी अपना विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम की शुरुआत पण्डित कमल प्रसाद चपगई ने मंगलाचरण से किया। कार्यक्रम का संचालन रमेश उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में सुनील शुक्ला,मृदुल कुमार ओझा,विक्रम त्रिवेदी, सौरभ शुक्ला, मठ में अध्ययनरत वेदपाठी बटुक के अलावा अन्य साधुसंत और सम्मानित लोग उपस्थित रहे।

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