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जन्म उत्सव के प्रति मेरा कोई उत्साह नहीं!..श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करना मेरे जीवन का सौभाग्य है:-महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज

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  • Sep 11, 2024
  • 3 min read

जन्म उत्सव के प्रति मेरा कोई उत्साह नहीं!..श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करना मेरे जीवन का सौभाग्य है:-महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज


किरण नाई वरिष्ठ पत्रकार



सितम्बर बुधवार 11-9-2024

गाजीपुर:- ख़बर गाज़ीपुर ज़िले से है जहां पर पूर्वांचल में तीर्थस्थल के रूप में विख्यात सिद्धपीठ हथियाराम मठ में बुधवार को राधाष्टमी की बेला पर 26वें पीठाधीश्वर एवं जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानीनन्दन यति जी महाराज का हजारों शिष्य श्रद्धालुओं ने असीम आस्था और उत्साह के साथ प्राकट्य उत्सव (आविर्भाव दिवस) मनाया। वैदिक विद्वान ब्राह्मणों ने धार्मिक अनुष्ठान किया, तो संत महात्माओं, कन्या पीजी कॉलेज की छात्राओं, गणमान्यजनों सहित स्मस्तजनों ने गुरु वंदना करते हुए उनके स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना किया। महामंडलेश्वर स्वामी भवानी नन्दन यति महाराज ने कहा कि जन्म उत्सव के प्रति मेरा कोई उत्साह नहीं लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करना मेरे जीवन का सौभाग्य है।

उन्होंने कहा कि साल के 364 दिन मैं आप लोगों को आशीर्वाद देता हूं, परंतु आज के दिन मुझे आप सभी श्रद्धालु मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं मठ के विकास के साथ ही सन्यास के पथ पर चलते हुए समाज और लोक कल्याण का कार्य ऐसे ही सहजता पूर्वक संपादित करता रहूं। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य का दिन है, जिस दिन मैं आप लोगों से आशीर्वाद प्राप्त करता हूं। उन्होंने कहा कि जन्म के साथ ही मरण भी निर्धारित हो जाता है। व्यक्ति को अपने मरण की चिंता करते हुए सदैव अपने कर्तव्य पथ पर अडिग और चरित्रवान बने रहना चाहिए। ऐसे व्यक्ति की कीर्ति समाज में सदैव जीवित रहती है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो विश्व का कल्याण हो, के ध्येय वाक्य पर विश्वास करता है। पीठाधिपति ने सिद्धपीठ की धरती को पवित्र बताते हुए वृद्धाम्बिका देवी की महिमा का बखान किया और कहा कि देवी मां की कृपा से यहां के कण कण में भगवान हैं और यहां सच्चे दिल से प्रार्थना करने वालों की मुरादें जरूर पूरी होती है।

हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने कहा कि पीठाधिपति को आविर्भाव दिवस की हृदय से दी जाने वाली शुभकामना को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। उन्होंने मुझे शोहरते कितनी भी मिले मैं हसरते नहीं रखता, सब भूल जाता हूं नफरतें नहीं रखता। शेर के माध्यम से गुरु महाराज का गुणगान करते हुए कहा कि कुछ ऐसे द्वार होते हैं जहां प्रत्येक समस्या का समाधान मिलता है। अपनी मुश्किलों का जिक्र करते हुए कहा कि बुढ़िया माता के दरबार में हर दुख विपत्ति का निराकरण होता है। मन विचलित हो तो घबराना नहीं, सब दुःख वक्त के साथ मिट जाता है। उन्होंने कन्या पीजी कॉलेज हथियाराम की छात्राओं और उपस्थितजनो का आह्वान करते हुए कहा कि खुद को आफते जमाना से बचाए रखिए वक्त कैसा भी हो किरदार बनाए रखिए, मिल ही जाएगा एक रोज सुरागे मंजिल, राहे मंजिल पर निगाह जमाए रखिए। इसी कड़ी में वाराणसी के डीआईजी ओमप्रकाश सिंह, जिलाधिकारी आर्यका अखौरी, पुलिस अधीक्षक डा. ईरज राजा, काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के ट्रस्टी पंडित प्रसाद दीक्षित, अखिल भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, देश के पहले विमानन विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति डॉ. वी. के. सिंह, व्यास डा. मंगला प्रसाद सिंह, चातुर्मास महायज्ञ के मुख्य यजमान शिवानन्द सिंह झुन्ना, बीएचयू के प्रोफेसर जेपी सिंह, विपिन सिंह, रजनीश राय, फौजदार सिंह, संचालक डा. सानन्द सिंह, सादात के ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि डा. संतोष कुमार यादव आदि गणमान्यजनों ने करीब 900 वर्ष प्राचीन इस तपस्थली के सिद्धसंतों के तप और बुढ़िया माई को प्रणाम करते हुए महामंडलेश्वर के प्राकट्य दिवस समारोह में उपस्थित होने को खुद के लिए सौभाग्य बताया। समस्त वक्ताओं ने महाराज श्री का चरण वंदन करते हुए उनके दीर्घजीवी और स्वस्थ होने की कामना करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दरम्यान महाविद्यालय से एमए फाइनल हिंदी और गृह विज्ञान विषय में अव्वल आने वाली छात्रा दीक्षा दूबे, अंजना यादव और संध्या को डीएम और एसपी ने प्रशस्ति पत्र तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर जेआरएस वाराणसी के संचालक डा. विजय नारायण राय, संत देवरहा बाबा बिरनो, डा. रत्नाकर त्रिपाठी, अखिलेश प्रसाद, विपिन पांडेय, डा. संतोष मिश्रा, हरिश्चंद्र सिंह, डा. अमिता दूबे, महाविद्यालय की छात्राओं और शिक्षिकाओं सहित देश के कोने-कोने में रहने वाले सिद्धपीठ से जुड़े शिष्यगण उपस्थित रहे। संचालन डा. सानन्द सिंह ने किया। अंत में पुण्य लाभ की कामना संग महाप्रसाद ग्रहण कर लोग अपने घर लौट गए।

 
 
 

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