क्या ? छाया गांव में मातम का माहौल!....जहरीला खरपतवार खाने से दो मासूम बच्चियों की हुई मौत,पूरे गांव में शोक का माहौल
आदित्य कुमार सीनियर क्राइम रिपोर्टर
गाजीपुर:- खबर गाजीपुर जिले से है जहां पर दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के बेचू लाल दुल्लहपुर मठिया गांव में आज सुबह उस वक्त लोगों में हड़कप मच गया। जब दो मासूम बच्चियों का अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मौत से परिजनों सहित गांव में मातम का माहौल है। मालूम हो कि बेचू लाल दुल्लहपुर गांव में 15 घरों का बासफोर बस्ती है ,यह बस्ती के लोग आज भी अपने पुश्तैनी धंधे बास के फट्टियो से सूप, दौऊरी,खांची,डाली बनाकर बिक्री कर जीविका चलाते हैं। लेकिन गांव में उस वक्त मातम का माहौल छा गया जब दो मासूम बच्चियों का अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। जो बच्चियां गांव और घर के किलकारियां बनी हुई थी आज एक छोटी सी बस्ती में किलकारियां अब दूर हो गई यह दृश्य हर लोगो को जेहन में आ रही है।परिजनो ने बताया कि मंगलवार की दोपहर को दोनों बच्चियों घर के पास ही खेलते हुए सड़क किनारे लगी झाड़ियां में मटर जैसी एक खरपतवार जिसको हूरहूर बोलते है को तोड़कर बच्चियों खा रही थी। जिसको लोगो ने देखा लेकिन इसका अंदाजा नहीं हो पाया की यह खरपतार इन मासूम के लिए काल बन जायेगी। मंगलवार को खरपतवार खाने के बाद रात में उल्टी शुरू हुई। लोगों ने गांव के एक निजी चिकित्सालय में दिखाए जहां पर चिकित्सक ने तत्काल अच्छे डॉक्टर को दिखाने का सलाह दी। इसके बाद दुल्लहपुर के निजी अस्पताल में ले जाकर मासूम को भर्ती किया गई ।जहां पर बच्चों का बोतल का पानी चढ़ाने के अलावा इलाज भी किया गया। हालत में सुधार नहीं हुआ तो तत्काल मऊ के अस्पताल में ले जाकर बुधवार को भर्ती किया। जिसमें अन्नू ढाई वर्ष पुत्री जितेंद्र बासफोर की 2:00 बजे दिन में मौत हो गई। जिसकी सूचना मिलते ही अन्नू की मां पूनम देवी और तीन बहन रोने बिलखने लगे ।अन्नू चार बहनों में सबसे छोटी थी।उधर 3 वर्षीय चांदनी पुत्री अनिल बासफोर की इलाज फातिमा अस्पताल मऊ में चल रही थी ।अभी लोगों ने अन्नू का दाह संस्कार नहीं किया की कुछ पल में ही चांदनी के भी मौत की खबर मिलने से चांदनी की मां सोना देवी और बड़ा भाई रोने बिलखने लगा। इस गांव में एक छोटी सी गरीब की बस्ती में दो मासूमों की मौत से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। चांदनी की मां सोना देवी रोते बिलखते हुए यह कह रही थी कि चांदनी कहा है।रोज ककहरा पढ़ रही थी। आखों से क्यों ना दिख रही क्या आंखे में अंधी हो गई।आज सुबह परिजनों ने मंगई नदी के पास दाह संस्कार कर दिया। समाजसेवी उज्जवल कुमार ने कहा कि बच्चियों को समय से बेहतर इलाज मिलते तो शायद उनकी जान बच जाती। परिजनों को पहले समझने में देर हुई की यह मामूली बुखार नही उस जहरीली खरपतवार का असर है जो धीरे धीरे अपने आगोश में लिया।
ग्राम प्रधान सिकानु राम ने कहा कि काफी गरीब परिवार है आज भी अपनी पुश्तैनी धंधा करके अपना जीविका का चलते हैं लेकिन दो मासूम बच्चियों की मौत से पूरे गांव में शोक का माहौल है ।परिवार को सत्वाना के साथ ही आर्थिक मदद की गई है। दो मासूम बच्चियों के मौत से आत्मा को भी झकझोर के रख दिया।
भाजपा अनुसूचित मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष एवं बासफोर समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष राममूर्ति बासफोर ने कहा कि दो मासूम बच्चियों की मौत पूरी तरह से झकझोर के रख दिया। आज भी यह समाज के लोग आजादी के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ ना ही उनको शिक्षा और समाज में जो हक अधिकार मिलना चाहिए वह मिल पाया। जिसका नतीजा रहा की ऐसे जहरीला खरपतवार खाते हुए भी लोगों ने देखा लेकिन समझ नहीं पाए और दोनों मासूम बच्चियों की हालत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। उन्होंने शासन प्रशासन से मांग किया कि ऐसे परिवारों को आर्थिक मदद दिया जाय।
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