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आंखों से छलकते आंसू..., लड़खड़ाती जुबान से निकलते टूटे-फूटे शब्द.. - ''मेरे घर से चले जाओ''



(कृष्णा चौहान की रिपोर्ट)


मई बुधवार 20-5-2020

आंखों से छलकते आंसू..., लड़खड़ाती जुबान से निकलते टूटे-फूटे शब्द.. - ''मेरे घर से चले जाओ''


*दिल्ली।* कोरोना संक्रमण काल में भाई-बहन के रिश्ते के बीच दरार आना शुरू हो गई हैं। प्रदीप ने बताया कि वह लॉकडाउन से पहले काम की तलाश में वसुंधरा अपनी बहन के घर आए थे। अब बहन ने कह दिया कि मेरे घर से चले जाओ। प्रदीप पांडेय ने बताया कि वह अंबेडकर नगर के चतुरपुर कैतिया गांव के रहने वाले हैं। दसवीं कक्षा तक पढ़े हैं। गांव में वह पिता के साथ खेती में हाथ बंटाया करते थे। उन्होंने बताया कि उनकी बहन रेणु वसुंधरा सेक्टर-चार में रहती है। जनता क‌र्फ्यू से दो दिन पहले वह दिल्ली-गाजियाबाद में नौकरी की तलाश में बहन के घर आए थे। 25 मार्च से लॉकडाउन हो गया। तब से बहन के घर रह रहे थे। प्रदीप ने बताया कि उनके जीजा की इलेक्ट्रिकल आइटम की दुकान है। जो कि लॉकडाउन के दौरान बंद हैं। इस कारण उनकी आय भी नहीं हो रही थी। अब जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन और बसें चलीं तो बहन ने स्पष्ट कहा दिया कि तुम मेरे घर से चले जाओ।प्रदीप ने बताया कि वह नौकरी करना चाहता थे। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ऐसी मजबूरियों ने जन्म ले लिया कि मजबूत रिश्ते में दूरियां आ गईं। प्रदीप ने बताया कि इसकी उन्हें उम्मीद नहीं थी।

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